यदि क्षेत्रफल अधिक हो तो तापायनिक धारा भी अधिक होती है।
2.
इस चित्र से यह देखा जा सकता है कि तापायनिक धारा ओम के सिद्धांत के अनुसार नहीं बदलती।
3.
इस कारण ऐसा लग सकता है कि थोड़े ही धन विभव पर काफी तापायनिक धारा बह सकती है।
4.
उदाहरण के लिए हाइड्रोजन की न्यूनतम मात्रा भी एक निर्वात नली में पहुँचने पर तापायनिक धारा को 105 गुना बढ़ा सकती है।
5.
एक निश्चित ताप पर तापायनिक धारा का पट्टिक वोल्टता (प्लेट वोल्टेज) के साथ का परिवर्तन चित्र 1 में प्रदर्शित किया जा सकता है।
6.
तापायनिक धारा तभी बह सकती है जब उत्सर्जक और उसको चारों ओर घेरे हुए बेलन की बीच धन विभव (पोटेंशियल) जारी रखा जाता है।
7.
इस तृतीय ध्रुव की अनुपस्थिति में, जैसा पहले बताया जा चुका है, नली में तापायनिक धारा तभी प्रवाहित होती है जब धनाग्र ऋणाग्र की अपेक्षा धन विभव पर होता है।